कैकेई के दो वर एवं राम वनगमन की लीला देख श्रोतागण हुये भाव—विभोर
श्रीराम के जयकारों से गुंजायमान रहा पण्डाल एवं क्षेत्रशाहगंज, जौनपुर। ऐतिहासिक श्री रामलीला मंचन के अगले चरण में देवासुर संग्राम की स्मृति, राम—कौशल्या संवाद, राम—सीता संवाद, लक्ष्मण—सुमित्रा संवाद, राम वनगमन, तमशा निवास, श्रृंगवेरपुर निवास की लीला का मंचन हुआ जहां भारी संख्या में उपस्थित श्रोतागण लीला मंचन देखकर मंत्र—मुग्ध दिखे। नगर की ऐतिहासिक रामलीला में चल रहे 20 दिवसीय मंचन के अगले क्रम में नगर के गांधीनगर कलेक्टरगंज स्थित रामलीला मंच पर भक्तों द्वारा राम दरबार की आरती की गई। वृंदावन की आदर्श रासेश्वरी रामलीला मंडली द्वारा प्रस्तुत तीसरे दिन के लीलांस में देवासुर संग्राम में कैकेई पराक्रम का स्मृति मंचन किया गया। वहीं श्रीराम, माता सीता और अनुज लक्ष्मण के वन जाने पर पूरी अयोध्या राम वियोग में डूब गयी। राजा दशरथ की मनोव्यथा ऐसी रही कि यदि वे कैकेई के दोनों वर मान लेते तो रघुकुल रीति में पुत्र का मोह आड़े आता। यदि नहीं तो धर्म और सत्य पर कलंक। उधर मुनि वेष में श्रीराम, जानकी एवं लक्ष्मण के साथ भारी संख्या में वन जा रहे अयोध्यावासियों को नदी के किनारे रोता छोड़कर दबे पांव श्रृंगवेरपुर चले गये जहां निषादराज ने श्रृंगवेरपुरवासियों के साथ श्रीराम का भव्य स्वागत किया। लीला का मंचन देख भारी संख्या में उपस्थित राम भक्तों के अश्रु छलक उठे। सभी लोग भाव—विभोर हो उठे। वहीं श्रीराम के जयकारों से परिसर गुंजायमान रहा।