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सत्य को सामाजिक जीवन में आत्मसात करना आवश्यक

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 सत्य को सामाजिक जीवन में आत्मसात करना आवश्यक

पर्यावरण संरक्षण के लिए सात दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का समापन
जौनपुर। अभिनव प्राथमिक विद्यालय ककोरगहना में विगत एक सप्ताह से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। सात दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम में वक्ताओं द्वारा कार्यक्रम में बताया गया कि हमें प्रकृति का सम्मान करते हुए विकास के पथ पर अग्रसर होना चाहिए, ताकि पर्यावरण का संतुलन बना रहे। वास्तव में, प्रकृति और पर्यावरण हमारे आचरण और जीवन शैली के अभिन्न अंग हैं। इस सत्य को सामाजिक जीवन में आत्मसात करना आवश्यक है, जिसके लिए दृष्टिकोण में सकारात्मक परिवर्तन लाना होगा।
प्रधानाध्यापक डॉ. रागिनी ने बताया कि प्रकृति संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय पहल के रूप में 23 अगस्त से 30 अगस्त तक प्रकृति वंदन कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य जन-जन को जागरूक बनाना है। उन्होंने कहा कि प्रकृति वंदन के रूप में सर्वप्रथम अमृता देवी का स्मरण हमें मार्ग दिखाता है। उन्होंने 1730 में मात्र 42 वर्ष की आयु में हरे पेड़ों को बचाने के लिए अपने प्राण न्योछावर किए। उनकी तीन पुत्रियां, जिनकी आयु 8, 10 और 12 वर्ष थी, भी इस बलिदान में सम्मिलित हुईं। उनके अनुसरण में कुल 363 लोग (जिनमें 71 महिलाएँ थीं) बलिदान हुए। विश्व पर्यावरण के इतिहास में इतना बड़ा बलिदान आज तक नहीं हुआ है। यह समस्त मानव जाति तथा नारी शक्ति के लिए गौरव का विषय है कि हमारे पूर्वजों ने हमारी भलाई के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न विद्यालयों, घरों और ग्रामों में नारी शक्ति ने बच्चों के साथ मिलकर वृक्षों, धरती और जल के प्रति आभार व्यक्त किया। साथ ही यह संकल्प लिया गया कि हर घर को हरित घर बनाया जाएगा। सभी ने पर्यावरण अनुकूल आचरण अपनाने तथा जल, जीव, जंगल, जन और जमीन के प्रति अपने दायित्वों का निष्ठापूर्वक निर्वहन करने का प्रण किया, ताकि यह सुंदर सृष्टि प्रदूषण-मुक्त बन सके। आज जब जलवायु परिवर्तन के कारण भीषण आपदाएं सामने आ रही हैं, ऐसे समय में शिक्षा के साथ-साथ पर्यावरण विषयक जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन न केवल आवश्यक बल्कि अत्यंत सराहनीय है। कार्यक्रम में पर्यावरण प्रेमी लोगों की सहभागिता रही जिसमें प्रमुख रूप से नारी शक्ति की बड़ी भूमिका रही, जिसमें मुख्य रूप से रंजना जी, रिंकी जी, बबिता जी, धानमनी जी, कविता जी, प्रज्ञा जी, रेणुका जी, सारिका जी,  पार्वती जी, माधवी जी आदि ने सहभागिता की।

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