सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं: डा. मदन मोहन
उन्होंने कहा कि कथाओं में श्रीराम के जीवन के ऐसे कई प्रसंग हैं जो हमें अपने जीवन में मर्यादा कर्तव्यनिष्ठा और सामाजिक समरसता अपनाने की सीख देते हैं। माता-पिता और गुरु के प्रति आज्ञा का पालन उन्होंने वनवास जाने की आज्ञा का पालन खुशी-खुशी किया भले ही लक्ष्मण को क्रोध आया लेकिन उन्होंने उन्हें भी समझाया और शांत किया। कर्तव्य और धर्म का पालन भरत के अयोध्या आने पर श्रीराम ने उन्हें अपने धर्म कर्तव्य का स्मरण कराया और राज-पाठ संभालने का आदेश दिया।
जौनपुर से पधारे कथा वाचक डॉ अखिलेश चंद्र पाठक से मानस कथा का वर्णन करते हुये बताया कि श्रीराम चंद्र ने सामाजिक समरसता के साथ निषादराज को अपना मित्र बनाकर ऊँच-नीच का भेदभाव दूर करने का संदेश दिया। समन्वयवादी दृष्टिकोण से प्रभु श्रीराम ने लोक-कल्याण को महत्व देते हुये विनयपूर्वक समुद्र से रास्ता मांगा, क्योंकि वे सागर को एक बाण से सुखा सकते थे।
प्रजा सहित सभी जीवों के प्रति समान भाव उन्होंने मानव पशु वर्ग के सभी जीवों को समान प्रेम करके आशीष दिया। जैसे शबरी, सुग्रीव और विभीषण। एक आदर्श शासक उनके शासनकाल में सुशासन था जिसके कारण आज भी रामराज्य की मिसाल दी जाती है। श्रीराम का जीवन इन सभी गुणों का उदाहरण है जिसका अनुकरण करके हम अपने जीवन को संतुलित और सफल बना सकते हैं।
इस अवसर पर शिवासरे गिरी, मदन साहू, त्रिलोकीनाथ माली, राम आसरे साहू हनुमान त्रिपाठी, गुड्डू उपाध्याय, प्रवेश उपाध्याय, त्रिजुगी त्रिपाठी, मुकेश श्रीवास्तव, अमित गिरी सति तमाम लोग मौजूद रहे। अन्त में आरती पूजन करने के पश्चात भक्तों में प्रसाद वितरण किया गया। बताया गया कि कथा प्रतिदिन सायं 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक चलेगी।